tahajjud ki namaz
tahajjud ki namaz ka tarika । तहज्जुद की नमाज़ का तरीका हम आपको इस आर्टिकल में तफ़सील से बताएंगे पहले ये जानलें के रात को ईशा की नमाज़ पढ़ने के बाद सॉकर उठे और फिर जो नफल नमाज़ पढ़ी जाती है उसे तहज्जुद की नमाज़ केहते हैं। कुरानो अहादिस मैं इसकी बहोत ज़ियाद फ़ज़ीलत आई है।
तहज्जुद की नमाज़ का तरीका। tahajjud ki namaz ka tarika
तहज्जुद की नमाज़ को पढ़ने का तरीका बहुत ही सरल है। इसे रात के किसी भी समय में पढ़ा जा सकता है। लेकिन इसे रात की आख़री तिहाई में पढ़ने का ज़्यादा सवाब होता है। तहज्जुद की नमाज़ एक नफ़्ल नमाज़ होती है। इसलिए इसे लगभग चार रकातें पढ़ी जाती हैं। नमाज़ की तीन रकातों के बाद तस्लीम के बाद इसे दो रकातों के तौर पर पढ़ा जाता है। इसके बाद सलाम फेरकर नमाज़ को मुकम्मल किया जाता है।
तहज्जुद की नमाज़ के फ़ायदे
तहज्जुद की नमाज़ के पढ़ने से अनगिनत फ़ायदे होते हैं। इसके पढ़ने से इंसान की आत्मा को सुकून मिलता है। और उसका दिल शांत होता है। इसके अलावा इसे पढ़ने से इंसान का इमान मज़बूत होता है। और उसका दिल अल्लाह की ओर मोड़ लिया जाता है। इसके बारे में पढ़ने वाले का गुनाह माफ़ होता है। और उसका आख़िरी और पहले का गुनाह माफ़ हो जाता है।
तहज्जुद की नमाज़ का महत्व
तहज्जुद की नमाज़ का पढ़ना बहुत ही महत्वपूर्ण है। क्योंकि इसके पढ़ने से इंसान को आत्मा का सांजा मिलता है और उसका दिल खुशी से भर जाता है। यह नमाज़ अल्लाह के सामने हमारी गुनाहों को माफ़ करने का एक माध्यम होती है। और हमें दिनभर की मेहनत और तंगी के बाद आराम प्राप्त होता है। इसलिए, हर मुसलमान को तहज्जुद की नमाज़ का पाबंद रहना चाहिए।
निष्कर्ष on tahajjud ki namaz ka tarika
तहज्जुद की नमाज़ एक बहुत ही महत्वपूर्ण नमाज़ है जो हर मुसलमान को पढ़ना चाहिए। इसे पढ़ने से इंसान की आत्मा और दिल खुश होता है और उसकी ज़िंदगी में सुख-शांति आती है। इसलिए, इसे रोज़ाना पढ़ना चाहिए और अपनी रूहानी ताक़त को मज़बूत करना चाहिए।