Alahazrat ka ishqe rasul

आला हजरत का इश्क ए रसूल और जियारत ए रसूल सल्लल्लाहो ताला अलेही वसल्लम

 

_*✒️आला हजरत रहमतुल्लाह अलैह के दिल में आप सल्लल्लाहो ताला अलेही वसल्लम की इतनी मोहब्बत थी कि आपकी जौजा रात के 2 बजे भी उठती तो आप जागते होते अापसे पूछती हजरत नींद नहीं आ रही है तो छम छम आंसू गिरते और फरमाते हामिद की मां मुझे मदीना याद आता है वहां का अंदाज भूलता ही नहीं*_

 

_*✒️अपना सब कुछ मां के हवाले कर दिया था वह जिसको जो हुकुम देती वह करता मां के बहुत बड़े फरमाबरदार थे जौजा कहने लगी इतने पैसे हैं दोबारा चले जाइए आप बोले नहीं दरमियान वाले भाई का हक है फिर तीसरा जाएगा फिर देखेंगे आगे मां जिसको भेजें*_

 

_*✒️कुछ दिन गुजरे वुलावा आ गया मौलाना हसन रजा का नाम आ गया अम्मा ने हुक्म दिया वो हज को जाऐगे तैयारिया होने लगी*_

 

_*🌴सुए तैबा जाने वालो मुझे छोड़ कर ना जाना*_

 

_*✒️आला हजरत फाजली बरेलवी का दिल मचलने लगा तड़पने लगा तबीयत ए मुबारक बेचैन होने लगी*_

 

_*✒️जब भाई को छोड़ने के लिए गए तो लोग कहे रहे थे कि इतना मदीना जाने वाले नहीं रो रहे थे जितना बरेली के इमाम रो रहे थे*_

 

_*✒️और कह रहे थे मेरे महबूब को मेरा सलाम कहना और हुजूर की बारगाह में कहना बड़ा रोता है बड़ा तड़पता है मदीना आने के लिए इतना रोए इतना रोए की कश्ती वाले कश्ती से उतर गए कि हजरत जब तक आप नहीं जाएंगे तब तक हम भी नहीं जाएंगे*_

 

_*✒️बड़ी उम्मीद है सरकार कदमों में बुलाएंगे करम की जब नजर होगी मदीना हम भी जाएंगे अगर जाना मदीने में हुआ हम गम के मारों का मकीने गुंबदे खजरा को हाल-ए-दिल सुनाएंगे*_

 

_*और खुद आला हजरत फाजिले बरेलवी फरमाते हैं👇🏻*_

_*🌴जान वह दिल होश खिरत सब तो मदीने पहुंचे तुमनहीं चलते रजा सारा तो सामान गया*_

_*लोगों ने फरमाया हमें आपके बगैर जाना ही नहीं*_

 

_*✒️आला हजरत फरमाते है अगर तुम मेरे बगैर नहीं जाओगे तो मैं अपनी मां की इजाजत के बगैर नहीं जाऊंगा*_

 

_*✒️लोगों ने कहा मां की इजाजत ले लीजिए वापस आए मां तो बच्चे के दिल का हाल सब जानती है सामने आए और अस्सलाम अलैयकुम कहकर खड़े हो गए मा ने नजर उठाई बेटा हसन रजा को छोड़ आए हो आंखों में से आंसू जारी हो गए*_

_*✒️मा ने कहा अहमद रजा मैं जानती थी तू वहां जाएगा तो तड़पेगा बेटे मैंने तेरा बैग तैयार कर दिया है जा मदीने वाले महबूब को मेरा भी सलाम कहना आला हजरत रोते तड़पते और कहते उनके तुफैल हज भी खुदा ने करा दिया असल मुराद हाजिरी उस पाक दर की है*_

 

✒️फाजिले बरेलीवी गए उनके खलीफा थे मौलाना जियाउद्दीन मदनी उनके घर रहे हज किया आ गए

 

          Ye bhi parhain     Alahazrat ka qaule zarrin✒️

मौलाना जियाउद्दीन मदनी कहते सारा सारा दिन मदीने में रोते हुए गुजर जाते हैं सारी सारी रात रोते हुए गुजर जाती मौलाना जियाउद्दीन फरमाते हैं हुजूर मैं नौकर हूं गुलाम हूं मुरीद हूं पूछ नहीं सकता लेकिन हर वक्त का रोना

✒️तो फरमाया जियाउद्दीन दिल करता है जाहिरी तौर पर मुस्तफा का दीदार हो मैं हिंद से चलकर मदीने आया हूं मगर यहां भी महबूब पर्दों में है

🌴उठा दो पर्दा दिखा दो जलवा के नूर बारी हिजाब में है जमाना तारीक हो रहा है कि हम मेहर कब से नकाब में है

✒️तहज्जुद का वक्त हुआ तो मौलाना जियाउद्दीन कहते हैं मुझे उठाया और नात लिखी कहने लगे चल हुजूर को सुनाते हैं और खड़े हो गए गुंबद के पास और पढ़ते हैं

🌴वह सुए लाल जार फिरते हैं तेरे दिन ए बहार फिरते हैं जो तेरे दर से यार फिरते हैं दरबदर यूं ही ख्वार फिरते हैं

जियाउद्दीन वह देख मिस्र का बादशाह वह देख शाम को हुक्मरानवह देख यमन का हुक्मरान

उस गली का गदा हूं मैं जिसमें मांगते ताजदार फिरते है

ये लफ्ज़ कहे और रोने लगे कहते हैं देख जियाउद्दीन मेरी मंजूरी नहीं हो रही है

✒️फिर कहने लगे देख मैं कितना बड़ा बन गया हूं कितनी बड़ी बात कह दी मैंने कि मुझे बेपर्दा महबूब का दीदार करना है इतना बड़ा मैंने अपने आप को समझ लिया

 

_*🌴मैं कहां और दर ए रसूल कहां कोई क्यों पूछे तेरी बात रजा*_

 

_*✒️वह देख बादशाह खड़े हैं वो देखो हुकमारान खड़े हैं वह देख महद्दीसीन खड़े हैं इतना बड़ा दावा तेरी आंखों का बुजु है जो तु हुजूर का दीदार कर सके तेरी आंख इस काबिल है*_

 

_*🌴कोई क्यों पूछे तेरी बात रजा तुझसे कुत्ते हजार करते हैं*_

 

_*✒️जब यह लफ्ज़ कहे तो मौलाना जियाउद्दीन फरमाते हैं कसम है मुझे मुस्तफा की गुंबद की मैंने खुद जालियों का दरवाजा खुलते देखा है मैंने पर्दे हटते देखे हैं और मैंने बरेली की इमाम को मुस्तफा के कदमों से लगे हुए देखा है और मैं मचल मचल के कह रहा था*_

 

_*🌴अब हर कोई पूछेगा तेरी बात रजा तेरे आशिक हजार फिरते हैं*_

 

_*✒️और आला हजरत फरमाते हैं कि कोई यह न समझे कि मैं यहां ही नात खा हूं मैं महबूब की वहां भी सना खानी करूंगा*_

 

_*✒️पेशे हक मुजदा शफाअत का सुनाते जायेंगे आप रोते जाएंगे हम को हंसाते जाएंगे बागे जन्नत में मोहम्मद ﷺ मुस्कुराते जाएंगे फूल रहमत के गिरेंगे हम उठाते जाएंगे हश्र में होगा हमारा दाखिला इस शान से हम या रसूल अल्लाह ﷺ का नारा लगाते जाएंगे*_