jo tera tifl hai

Habibe khuda ka nazara

Habibe khuda ka nazara

Habibe khuda ka nazara

Habeeb-e-Khuda (salla Llahu ‘alayhi wa sallam) ka nazara karoon mein
Dilo jaan unpar nisaaraa karoon mein

Yeh ek Jaan kya hai agar ho karoro
Tere Naam par sab ko waaraa karoon mein

Tere Naam par sar ko qurbaan kar ke
Tere sar se Sadqe utaara karoon mein

Mera Deen-o-Imaan Firishte jo pooche
Tumhari hi jaanib ishaaraa karoon mein

Khudara ab aawo ke dam he labo par
Dame wapasi to nazaara karoon mein

Khudaa kher se laye woh din bhi Noori
Madine ki galiyan bohaaraa karoon mein

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Mujhe apni rehmat se to apna karle
Siwa Tere sab se kinaaraa karoon mein

Mein kyoon ghair ki thokare khane jawoon
Tere Dar se apna guzaaraa karon mein

Tera Zikr lab par khuda dil ke andar
Yunahi zindagani guzaaraa karoon mein

Dame wapasi tak tere geet gaoon
Muhammad Muhammad (salla Llahu ‘alayhi wa sallam) phukaaraa karoon mein

Tere dar ke hote kahan jawoon pyare
Kahan apna daaman pasaaraa karoon mein

Khudaa aisi kuwat de mere qalam mein
Ke Bad-Mazhabon ko sudhaaraa karoon mein

also Habibe khuda ka nazara in hindi

हबीब-ए-ख़ुदा का नज़ारा करूँ मैं
दिल ओ जान उन पर निसारा करूँ मैं

Habibe khuda ka nazara

तेरी कफ़्श ए पा यूँ सँवारा करूँ मैं
कि पलकों से उस को बुहारा करूँ मैं

तेरी रहमतें आम हैं फिर भी, प्यारे
ये सदमात ए फ़ुर्क़त सहारा करूँ मैं

मुझे अपनी रहमत से तू अपना कर ले
सिवा तेरे सब से किनारा करूँ मैं

मैं क्यूँ ग़ैर की ठोकरें खाने जाऊँ
तेरे दर से अपना गुज़ारा करूँ मैं

सलासिल मसाइब के अब्रू से काटो
कहाँ तक मसाइब गवारा करूँ मैं

ख़ुदा रा अब आओ कि दम है लबों पर
दम ए वापसीं तो नज़ारा करूँ मैं

तेरे नाम पर सर को क़ुर्बान कर के
तेरे सर से सदक़ा उतारा करूँ मैं

ये इक जान क्या है अगर हों करोड़ों
तेरे नाम पर सब को वारा करूँ मैं

मुझे हाथ आए अगर ताज-ए-शाही
तेरी कफ़्श ए पा पर निसारा करूँ मैं

तेरा ज़िक्र लब पर, ख़ुदा दिल के अंदर
यूँही ज़िंदगानी गुज़ारा करूँ मैं

दम ए वापसीं तक तेरे गीत गाउँ
मुहम्मद मुहम्मद पुकारा करूँ मैं

तेरे दर के होते कहाँ जाऊँ प्यारे
कहाँ अपना दामन पसारा करूँ मैं

मेरा दीन ओ ईमाँ फ़रिश्ते जो पूछें
तुम्हारी ही जानिब इशारा करूँ मैं

ख़ुदा ऐसी क़ुव्वत दे मेरे क़लम में
कि बद मज़हबों को सुधारा करूँ मैं

ख़ुदा एक पर हो तो इक पर मुहम्मद
अगर क़ल्ब अपना दो पारा करूँ मैं

ख़ुदा ख़ैर से लाए वो दिन भी नूरी
मदीने की गलियाँ बुहारा करूँ मैं

सबा ही से नूरी सलाम अपना कह दे
सिवा इस के क्या और चारा करूँ मैं